क्षणिकाएं – २९
क्षणिकाएं – २९
(१)
जी चाहता है कुछ ऐसा लिखूं
पढ़ें तो सब, समझ बस तुम्हे आए।।
(२)
इस कारवां की कोई मंजिल तो होगी
चलेंगे साथ जब महफिल तो होगी
क्या हुआ कल अगर बिछड़ भी जाएंगे
साथ मेरे यादों की ये घड़ी तो होगी।।
(३)
मासूम मुस्कान से मेरा दिल घुल गया
कल सुबह वो अचानक मुझे मिल गया
यूं तो बेच रहा था चंद कलियां गुलाब की
मैंने जो ले ली सारी तो चेहरा उपवन सा खिल गया।।
(४)
तुम मेरे लिए एक अहसास थे
मेरे दिल के खास एक जज़्बात थे
किसे था मालूम राह में छोड़ कर चल दोगे
हम समझे थे जिंदगी भर के लिए साथ थे।।
(५)
जो कहते थे चालबाज हमको
वो चाल ये कैसी चल गए
हम राह देखते ही रह गए
वो यादों से भी निकल गए।।
आभार – नवीन पहल – २५.११.२०२२ 🙏🙏🌹💐
# नॉन स्टॉप २०२२, भाग -
Haaya meer
26-Nov-2022 07:19 PM
Superb
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डॉ. रामबली मिश्र
25-Nov-2022 07:22 PM
शानदार
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Mohammed urooj khan
25-Nov-2022 11:53 AM
Lajwab 👌👌👌
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